KL University में हमेशा से पढ़ाई के साथ - साथ बड़े, बड़े रिसर्च और लैब में छात्रों को अनुभव के लिए वीजिट करवाती रही है। यहाँ सीखने की असली ताकत तब दिखती है जब छात्र विज्ञान की समझ को जमीन की हकीकत से जोड़ते हैं। इसी सोच के साथ छात्रों ने दो महत्वपूर्ण फील्ड गतिविधियों में भाग लिया। पहली थी आंध्र प्रदेश राइस रिसर्च इंस्टिट्यूट (APRRI), मरुतेरु का दौरा और दूसरी थी नुटक्की गांव में Integrated Pest Management (IPM) पर जागरूकता कार्यक्रम।

इन दोनों अनुभवों ने छात्रों के तकनीकी ज्ञान को और मजबूत किया और उन्हें कृषि नवाचार और ग्रामीण जिम्मेदारी का वास्तविक अर्थ समझाया।

अनुसंधान की शुरुआत: APRRI, मरुतेरु में सीखने का मौका

APRRI के दौरे ने छात्रों को पहली बार यह दिखाया कि धान की किस्में खेतों में पहुंचने से पहले कितनी लंबी वैज्ञानिक प्रक्रिया से गुजरती हैं। वैज्ञानिकों और ADR ने पूरी ब्रीडिंग प्रक्रिया को सरल तरीके से समझाया, Top universities in Vijayawada

छात्रों ने जाना कि कैसे ब्रीडिंग के उद्देश्य तय किए जाते हैं, किस तरह पैरेंटल लाइनों का चयन होता है, और फिर किस तरह इमैस्क्युलेशन, नियंत्रित परागण और F1 से F6 तक की पीढ़ियां आगे बढ़ाई जाती हैं।

उन्होंने OYT, PYT, AVT, MLT और मिनीकिट जैसी मूल्यांकन भी देखीं और यह भी समझा कि SVRC और CVRC किस प्रकार किसी भी किस्म को रिलीज करने से पहले कठोर जांच प्रक्रियाएं अपनाते हैं।

इसके साथ ही छात्रों ने यह भी जाना कि जल्दी, मध्यम और देर अवधि वाली धान किस्में कैसे विकसित होती हैं, उच्च उपज देने वाली स्लेंडर ग्रेन किस्मों की पहचान कैसे की जाती है, और BLB, ब्लास्ट तथा अन्य तनावों के लिए जीनोटाइप की स्क्रीनिंग कैसे की जाती है। IFS यानी Integrated Farming System के उपयोग भी उनके लिए एक महत्वपूर्ण सीख रहे।

इस दौरे ने छात्रों को धान सुधार प्रक्रिया की पूरी तस्वीर दिखाई और यह समझाया कि भारत की खाद्य सुरक्षा वैज्ञानिक शोध की सूक्ष्म कार्यप्रणाली पर ही आधारित है।

समुदाय तक ज्ञान पहुँचाना: नुटक्की गांव में IPM जागरूकता कार्यक्रम

दूसरा औद्योगिक दौरा छात्रों को सीधे उन लोगों के बीच ले गया जो खेती को जीवन देते हैं - किसान। Principles of Integrated Pest and Disease Management (22PATH373) पाठ्यक्रम के तहत 146 छात्र और पाँच फैकल्टी सदस्य नुटक्की गांव पहुंचे, जहाँ उन्होंने Integrated Pest Management और सुरक्षित कीटनाशक उपयोग पर जागरूकता बढ़ाई।

छात्रों ने किसानों के साथ बातचीत करते हुए विभिन्न कीटों की पहचान, फसल की निगरानी तकनीक और IPM के व्यावहारिक विकल्पों के बारे में बताया। इनमें प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग, इंटरक्रॉपिंग, जैविक नियंत्रण और यांत्रिक नियंत्रण जैसे उपाय शामिल थे।

टीम ने सुरक्षित कीटनाशक प्रयोग, PPE का उपयोग, सही भंडारण, कंटेनर निपटान और आकस्मिक विषाक्तता की स्थिति में प्राथमिक उपचार जैसे विषयों का प्रदर्शन भी किया।

किसानों की दिलचस्पी सबसे अलग दिखाई दी। कई किसानों ने IPM अपनाने और सुरक्षित कीटनाशक उपयोग शुरू करने की इच्छा जताई, जो टिकाऊ खेती की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

केवल सीखना नहीं, एक बदलाव

इन दोनों फील्ड गतिविधियों ने छात्रों को केवल तकनीकी ज्ञान ही नहीं दिया बल्कि उनमें जिज्ञासा, जिम्मेदारी और आत्मविश्वास भी बढ़ाया। उन्होंने देखा कि प्रयोगशाला का शोध कैसे खेतों में असर डालता है और सही जानकारी देने से गांवों में जागरूकता कैसे बढ़ती है।

छात्रों के लिए यह अनुभव याद दिलाता है कि कृषि केवल फसलों या प्रणालियों का विषय नहीं है। इसमें लोग, पर्यावरण और नवाचार मिलकर काम करते हैं।