जब शोध की ताकत सीमाओं को पार करती है, तो देश ही नहीं दुनिया को नए समाधान मिलते हैं। KL University की फैकल्टी सदस्य डॉ. टी. अनुपा ने इस बार यही साबित किया। जर्मनी में आयोजित प्रतिष्ठित IGSTC फेलोशिप प्रोग्राम में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया और अपने शोध को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के बीच प्रस्तुत किया।
यह फेलोशिप भारत और जर्मनी दोनों देशों की सरकारों द्वारा समर्थित है। इसका उद्देश्य वैज्ञानिकों को एक साथ काम करने का मौका देना और उन शोधों को आगे बढ़ाना है जिनका सीधा असर समाज की समस्याओं को हल करने में हो सकता है, Best Universities in India।
सेप्सिस की शुरुआती पहचान में नई उम्मीद
जर्मनी में, डॉ. अनुपा ने अपना शोध प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक था:
“सेप्सिस बायोमार्कर्स की एक साथ पहचान करने वाला इलेक्ट्रोकेमिकल बायोसेंसिंग प्लेटफॉर्म”
सेप्सिस एक बेहद गंभीर मेडिकल स्थिति है जिसमें संक्रमण फैलते ही शरीर तेजी से प्रतिक्रिया देता है। कई बार इसकी पहचान देर से होती है और इलाज शुरू होने से पहले ही मरीज की हालत बिगड़ जाती है। डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही रहती है कि सेप्सिस को जल्दी और सही तरीके से पहचाना जाए।
डॉ. अनुपा का बनाया हुआ बायोसेंसर इस समस्या का समाधान दिखाता है। यह सेंसर कई बायोमार्कर्स को एक साथ पहचान सकता है। इसका मतलब है कि जांच जल्दी होगी, रिपोर्ट ज्यादा सटीक होगी और डॉक्टर तुरंत इलाज शुरू कर पाएंगे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूद विशेषज्ञों ने उनके शोध की सराहना की और माना कि यह तकनीक भविष्य में अस्पतालों में सेप्सिस की जांच के तरीके को बदल सकती है। तेज और भरोसेमंद नतीजे मिलना मरीजों की जान बचाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
रिसर्च की दुनिया में के एल यूनिवर्सिटी की मजबूत पहचान
यह उपलब्धि KL University के केमिस्ट्री विभाग की क्षमता को भी दर्शाती है। विभाग लगातार आधुनिक शोध पर काम कर रहा है और छात्रों व फैकल्टी को नई तकनीकों पर प्रयोग करने का पूरा माहौल देता है।
विभाग में मौजूद अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं, आधुनिक उपकरण और अनुभवी प्रोफेसरों के मार्गदर्शन से शोध को मजबूती मिलती है।
यहां एनालिटिकल केमिस्ट्री, इलेक्ट्रोकेमिस्ट्री, पॉलिमर साइंस, मटेरियल रिसर्च, और बायोसेंसिंग जैसे क्षेत्रों में कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इन शोधों के लिए विभाग को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से फंडिंग भी मिलती है, जो इसकी विश्वसनीयता को और बढ़ाती है।
वैज्ञानिक सहयोग का एक मजबूत कदम
IGSTC फेलोशिप प्रोग्राम सिर्फ शोध प्रस्तुत करने का मंच नहीं है। यह विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों को एक साथ जोड़ता है ताकि वे अपने विचार साझा कर सकें और साथ मिलकर नई तकनीकें विकसित कर सकें। डॉ. अनुपा की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि के एल यूनिवर्सिटी का शोध स्तर लगातार अंतरराष्ट्रीय मानकों तक पहुंच रहा है।
उनकी इस उपलब्धि से न केवल यूनिवर्सिटी को गर्व हुआ है बल्कि भारत के वैज्ञानिक समुदाय को भी एक नया आत्मविश्वास मिला है। यह दिखाता है कि भारत के शोधकर्ता वैश्विक मंचों पर अपनी पहचान मजबूती से बना रहे हैं।
भविष्य की ओर एक मजबूत कदम
डॉ. अनुपा का शोध आगे चलकर मरीजों के लिए बहुमूल्य सिद्ध हो सकता है। तेज, सटीक और भरोसेमंद जांच तकनीक से डॉक्टरों को बीमारी का पता पहले ही मिल जाएगा और इलाज जल्दी शुरू किया जा सकेगा। इससे कई जिंदगियां बच सकती हैं।
KL University की यह सफलता बताती है कि सही मार्गदर्शन, आधुनिक सुविधाएं और शोध की सोच मिलकर दुनिया में बड़ा बदलाव ला सकती हैं।
वैज्ञानिक शोध का यह सफर आने वाले समय में और भी नई उपलब्धियां लाएगा और भारत के नाम को वैश्विक विज्ञान जगत में और मजबूत करेगा।