भारत की धरती से एक बार फिर आसमान तक गूंजा छात्रों का जुनून। के.एल यूनिवर्सिटी (KLEF) ने विजयवाड़ा के अपने वद्देस्वरम कैंपस से छात्रों द्वारा बनाए गए तीन सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च कर देशभर में एक नई मिसाल कायम की है।
विश्वविद्यालय ने जो तीन सैटेलाइट्स लॉन्च किए — Best Universities in India, KLSAT-2 (2U CubeSat), KLJAC (Lightweight Pico Balloon Satellite) और CanSat (4U Module) — वे पूरी तरह से छात्रों के नेतृत्व में तैयार किए गए थे। यह भारत में छात्र-स्तर पर हुआ एक अनोखा प्रयोग था, जिसने उच्च शिक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान दोनों में नया अध्याय खोला है।
यह परियोजना “स्टूडेंट सैटेलाइट प्रोजेक्ट” के तहत शुरू की गई थी, जिसे RF & Microwave Centre of Excellence के छात्रों और शोधकर्ताओं ने तैयार किया। इस मिशन को आंध्र प्रदेश स्टेट काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (APCOST) और REDWING का तकनीकी सहयोग प्राप्त हुआ।
इस प्रोजेक्ट में शामिल छात्रों ने कहा कि यह सिर्फ एक लॉन्च नहीं, बल्कि उनके सपनों की उड़ान है। महीनों की मेहनत, डिज़ाइनिंग, सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग और रिसर्च के बाद यह दिन उनके लिए ऐतिहासिक बन गया।
KLSAT-2 (2U CubeSat): यह छोटा लेकिन शक्तिशाली उपग्रह है, जिसे सिग्नल ट्रांसमिशन और डेटा कम्युनिकेशन के लिए बनाया गया।
KLJAC (Lightweight Pico Balloon Satellite): यह अल्ट्रा-लाइट सैटेलाइट वायुमंडल के ऊपरी स्तरों में डेटा संग्रह के लिए तैयार किया गया।
CanSat (4U Module): यह प्रोटोटाइप सैटेलाइट पृथ्वी के निचले वातावरण में सेंसर डेटा और एनालिटिक्स पर केंद्रित है।
इन सैटेलाइट्स की मदद से छात्र वास्तविक समय में मौसम डेटा, रेडियो फ्रीक्वेंसी और वायुमंडलीय परिवर्तन जैसे विषयों पर रिसर्च करेंगे।
समारोह में जुटे देश के दिग्गज
लॉन्चिंग कार्यक्रम में विज्ञान, शिक्षा और उद्योग जगत के कई नामी चेहरे मौजूद थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री कोनेरु सत्यनारायण जी (चांसलर, KLEF) ने की।
डॉ. जी. पी. सारथी वर्मा, कुलपति, ने छात्रों की मेहनत को “भविष्य के वैज्ञानिक भारत की पहचान” बताया।
इस मौके पर श्री कनुमुरु रघु राम कृष्ण राजू जी, डिप्टी स्पीकर, और श्रीमती कोनेरु निखिला कार्तिकेयन भी उपस्थित रहीं।
“हमने सिर्फ मशीनें नहीं, उम्मीदें उड़ाई हैं” — छात्र टीम
KLSAT टीम के एक छात्र ने कहा,
- “जब हमने पहला सिग्नल रिसीव किया, वो पल कभी नहीं भूलेंगे। हमने सिर्फ एक मशीन नहीं उड़ाई, बल्कि अपनी उम्मीदें और मेहनत को आसमान तक पहुंचाया।”
दूसरी टीम सदस्य ने बताया कि विश्वविद्यालय ने न केवल प्रयोगशाला सुविधाएं दीं, बल्कि उन्हें पूर्ण स्वतंत्रता और प्रेरणा भी दी ताकि वे अपने आइडियाज को वास्तविकता में बदल सकें।
चांसलर श्री कोनेरु सत्यनारायण ने कहा कि KLEF हमेशा से “Education through Innovation” के सिद्धांत पर काम कर रही है। उन्होंने बताया कि आने वाले वर्षों में विश्वविद्यालय और भी माइक्रो और नैनो सैटेलाइट मिशन लॉन्च करेगा ताकि छात्रों को स्पेस टेक्नोलॉजी में वैश्विक स्तर पर एक्सपोजर मिल सके।
कुलपति डॉ. सारथी वर्मा ने कहा कि इस प्रोजेक्ट की सफलता आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत कदम है, क्योंकि अब छात्र खुद सैटेलाइट डिजाइन और विकास करने में सक्षम हो रहे हैं।
KLEF ने साबित किया है कि जब शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रहती, तब रिसर्च वास्तविक उपलब्धियों में बदल जाती है।
यह उपलब्धि दिखाती है कि भारत के विश्वविद्यालय अब पारंपरिक शिक्षा से आगे बढ़कर “प्रयोग आधारित लर्निंग” की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
भारत का नाम फिर हुआ रोशन
इस लॉन्च के बाद सोशल मीडिया पर KLEF Satellite Launch ट्रेंड करने लगा। देशभर के छात्रों और वैज्ञानिकों ने इस उपलब्धि की सराहना की।
भारत के पूर्व वैज्ञानिकों ने भी कहा कि यह युवा पीढ़ी अब भारत के स्पेस ड्रीम्स को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए तैयार है।
के.एल यूनिवर्सिटी की यह उपलब्धि यह दिखाती है कि आज के युवा केवल नौकरी की तलाश में नहीं, बल्कि इनोवेशन, खोज और नेतृत्व की राह पर हैं।
तीन सैटेलाइट्स की यह उड़ान आने वाले समय में उन अनगिनत सपनों की उड़ान बनेगी, जो अभी धरती पर हैं लेकिन आसमान को छूने की तैयारी कर रहे हैं।
“शिक्षा तब सशक्त होती है, जब वह सीमाओं से परे जाकर नई दिशाओं की खोज करे — और KLU ने यह कर दिखाया।”